published by saurabh
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नयी दिल्ली (वार्ता): उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सभी बुनकरों को हथकरघा दिवस की बधाई देते हुए कहा है कि भारत की अद्वितीय कला से विश्व को परिचित कराने के प्रयास किए जाने चाहिए। श्री नायडू ने शुक्रवार एक संदेश में कहा कि हथकरघा कला बुनकर भाइयों की शिल्पकारी का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “आज छठे राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर, हथकरघा पर काम करने वाले देश के बुनकर भाइयों बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।” श्री नायडू ने कहा कि उद्यमी युवाओं को इस कला में प्रशिक्षित कर, इस विधा में नवाचार करना तथा इसका संवर्धन करना है। विश्व को भारत की इस अनूठी पारम्परिक कला से परिचित कराने के हर संभव प्रयास करने होंगे।
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उपराष्ट्रपति ने कहा कि हथकरघा स्वदेशी आत्मनिर्भरता और हमारे बुनकर भाइयों के पुरुषार्थ, कलात्मकता , स्वावलंबन और सशक्तीकरण का प्रतीक है। वर्ष 1950 में आज के ही दिन स्वदेशी अभियान का प्रारम्भ हुआ था। पश्मीना से कांजीवरम सिल्क, बंधनी से मूंगा सिल्क तक, भारत हस्तशिल्प और हथकरघे का स्वर्ग है जिसे पारम्परिक बुनकरों और शिल्पियों के निपुण हाथों ने संवारा है। उन्होंने कहा कि हथकरघा सिर्फ एक शिल्प ही नहीं बल्कि असंख्य शिल्पियों और बुनकरों, विशेषकर महिलाओं के जीवन और जीविका से जुड़ा है। इस नायाब शिल्प, उसकी गुणवत्ता, उसकी विविधतापूर्ण बौद्धिक सम्पदा को संरक्षित करना है और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
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