श्रीनगर। श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में सोमवार रात एक विवादास्पद मुठभेड़ में मारे गए दो नागरिकों के अवशेषों को हंदवाड़ा में कब्र से निकाल कर श्रीनगर में उनके पैतृक कब्रिस्तान में दफना दिया गया। अल्ताफ अहमद भट और मुदास्सिर गुल के शव गुरुवार शाम को सीमावर्ती कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा से मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में निकाले गए। बाद में उन्हें शहर के बरजुल्ला और पीराबाग कब्रिस्तान में दफनाने के लिए आधी रात के आसपास परिवारों को सौंप दिया गया।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा, इलाके में शांति बनाए रखने के लिए भट और गुल के घरों के आसपास बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। जैसे ही परिजन इन शव को लेकर अपने-अपने घर पहुंचे, तो वहां काफी भावुक कर देने वाला दृश्य देखने को मिला। अधिकारियों ने इनके परिजनों से अंतिम संस्कार में रिश्तेदारों की संख्या सीमित रखने के लिए कहा था। भट और गुल की मौत सोमवार रात एक मुठभेड़ के दौरान हुई थी। इस घटना में एक संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकवादी सहित चार लोग मारे गए थे। पुलिस का दावा था कि मृत चार लोगों में से दो आतंकवादी थे।
पुलिस ने गुल को आतंकवादी का सहयोगी करार दिया था, जबकि भट और गुल सहित कम से कम तीन परिवारों ने पुलिस के दावे का विरोध करते हुए उन्हें निर्दोष बताया था। मुठभेड़ में मारा गया भट उस इमारत का मालिक था, जहां यह घटना हुई। गुल ने इस इमारत के एक हिस्से को किराए पर ले रखा था। मुठभेड़ के बाद पुलिस ने शवों को परिवार के सदस्यों की अनुपस्थिति में श्रीनगर से लगभग 100 किलोमीटर दूर हंदवाड़ा में दूर एक पहाड़ी पर दफना दिया, जैसा कि आमतौर पर मारे गए आतंकवादियों के साथ किया जाता है।
हालांकि, श्रीनगर में रहने वाले दोनों के परिवारवाले सड़कों पर उतर आए और शवों को उन्हें लौटाने की मांग की। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी इनके शवों की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे। गौरतलब है कि कश्मीर घाटी के विभिन्न हिस्सों में शवों को लौटाए जाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए। जन आक्रोश के बाद दबाव में आकर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मुठभेड़ की मैजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए और फिर शवों को कब्र से निकाला गया। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में एक अलगाववादी समूह ने भी इस मुद्दे को लेकर शुक्रवार को बंद का आह्वान किया है।