रिलायंस ने जर्मनी और डेनमार्क की दों कंपनियों के साथ साझेदारी

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नयी दिल्ली। विभिन्न क्षेत्रों मेें कारोबार करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर लिमिटेड (आरएनईएसएल) ने जर्मनी औैर डेनमार्क की दों कंपनियों के साथ साझेदारियों की घोषणा की। आरएनईएसएल ने मंगलवार देर रात जारी बयान में बताया कि वह जर्मनी की नेक्सवेफ में 2.5 करोड़ यूरो का निवेश करेगा। साथ ही कंपनी ने डेनमार्क की स्टीसडल के साथ रणनीतिक साझेदारी का ऐलान किया। इस समझौते पर डेनमार्क की प्रधानमंत्री सुश्री मेटे फ्रेडरिकसेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए थे। रिलायंस के मुताबिक नेक्सवेफ में निवेश भारतीय बाजार के लिए रणनीतिक साझेदारी के तहत किया गया है। अपने बयान में आरएनईएसएल ने कहा कि वह नेक्सवेफ के 86,887 सीरीज-सी प्रीफेर्ड शेयर 287.73 यूरो प्रति शेयर के हिसाब से खरीदेगी।

इसके अलावा आरएनईएसएल को 1 यूरो के हिसाब से 36,201 वारंट भी जारी किए जाएंगे। नेक्सवेफ सेमीकंडक्टर्स में इस्तेमाल होने वाले मोनोक्रिस्ट- लाइन सिलिकॉन वेफर्स बनाती है। सेमिकंडक्टर सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में लगाए जाते हैं। रिलायंस की शेयर बाजार को दी गयी जानकारी के अनुसार, नेक्सवेफ जिस मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन वेफर्स का विकास और उत्पादन कर रहा है, उसमें इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल बेहद किफायती है और उनकी तकनीक ने उत्पादन के कई महंगे चरणों को समाप्त कर दिया है। महत्वपूर्ण यह है कि रिलायंस की पहुंच अब सेमिकंडक्टर तकनीक तक हो जाएगी। सौदे पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने कहा, “रिलायंस में हम हमेशा प्रौद्योगिकियों में आगे रहने में विश्वास करते हैं।  नेक्सवेफ के साथ हमारी साझेदारी एक बार फिर इस बात की गवाही देती है कि हम भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए सस्ती ग्रीन एनर्जी की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक महत्वाकांक्षी मिशन की शुरुआत कर रहे हैं।

नेक्सवेफ में हमारा निवेश, भारत को फोटोवोल्टिक निर्माण में वैश्विक लीडर के तौर पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें विश्वास है कि नेक्सवेफ का अभिनव अल्ट्रा-थिन वेफर, सोलर पैनल निर्माताओं और उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाएगा। रिलायंस के लिए सौर और अन्य प्रकार की नवीकरणीय ऊर्जाओं में हमारा दखल एक व्यावसायिक अवसर से कहीं अधिक बड़ा है। यह पृथ्वी को बचाने और इसे जलवायु संकट से निकालने के वैश्विक मिशन में हमारा योगदान है।” एक अलग घोषणा में आरएनईएसएल ने हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर्स के विकास और निर्माण के लिए स्टीसडल के साथ साझेदारी की है। इस समझौते पर डेनमार्क की प्रधानमंत्री सुश्री मेटे फ्रेडरिकसेन की भारत यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे। बता दें कि स्टीसडल एक डेनिश कंपनी है, जो जलवायु परिवर्तन के मामले में प्रौद्योगिकियों का विकास करती है। श्री अंबानी ने गुजरात के जामनगर में हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर्स के निर्माण के लिए एक गीगा फैक्ट्री स्थापित करने की घोषणा की थी।

इस समझौते के तहत आरएनईएसएल और स्टिस्डल अपनी तकनीकी क्षमताओं को मिलाकर हाइड्रोजेन इलेक्ट्रोलाइजर्स की प्रौद्योगिकी विकास को आगे बढ़ाएंगे। साथ ही इसकी विनिर्माण सुविधाओं को स्थापित करने के लिए सहयोग करेंगे। बताते चलें कि आरआईएल का लक्ष्य 2030 तक 100 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न करने का है। गत 10 अक्टूबर को आरएनईएसएल ने नॉर्वे मुख्यालय वाले आरईसी सोलर होल्डिंग्स एएस (आरईसी ग्रुप) के अधिग्रहण की घोषणा की थी। आरईसी के अधिग्रहण से आरआईएल को वैश्विक स्तर पर फोटोवोल्टिक (पीवी) निर्माण का बड़ा खिलाड़ी बन सकता है। आरईसी के पास दुनिया की बेहतरीन हेटेरोजंक्शन टेक्नोलॉजी (एचजेटी) है। इसके अलावा आरएनईएसएल ने 10 अक्टूबर को एक बयान में कहा कि वह स्टर्लिंग एंड विल्सन सोलर लिमिटेड (एसडब्ल्यूएसएल) का 40 प्रतिशत हिस्से का अधिग्रहण करेगा। यह सभी अधिग्रहण और साझेदारी रिलायंस की स्वच्छ-ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वाकांक्षाओं को रेखांकित करता है।