जोधपुर। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने राज्यपाल कलराज मिश्र की पुस्तक “संविधान, संस्कृति और राष्ट्र” का आज यहां लोकार्पण किया। इस मौके श्री नायडू ने सर्किट हाउस में लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान सर्वोच्च है। उन्होंने सभी से संविधान की पालना करने के साथ इसके प्रति जागरूकता का वातावरण बनाए जाने का आह्वान किया। उन्होंने संविधान और संस्कृति के साथ ही राष्ट्र चिंतन की सोच से जुड़ी श्री मिश्र की पुस्तक को महत्वपूर्ण बताते हुए उनके संविधान जागरूकता के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने पुस्तक में राज्यपाल द्वारा ग्रामीण संस्कृति पर गहरी दृष्टि रखने, जैसलमेर और सोनार किले पर संस्मरणात्मक गम्भीर लेखन करने की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी पुस्तक संविधान की भारतीय संस्कृति को समझने की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि संविधान हमें अधिकार देता है तो कर्तव्य की सीख भी देता है। उन्होंने संविधान को धर्मग्रन्थों की तरह पवित्र बताते हुए इसके प्रति सभी को निष्ठा रखे जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति बहुलतावादी है। इसमें जात-पांत, भाषा और मजहब के नाम पर कोई भेद नहीं है। उन्होंने कहा कि श्री मिश्र के साथ उनका निकट का नाता रहा है। वह बहुत बार संसद और अन्य सदनों में साथ-साथ रहे हैं। ’संविधान, संस्कृति और राष्ट्र’ जैसे व्यापक विषय पर लिखी उनकी पुस्तक से बड़े स्तर पर पाठक लाभान्वित होंगे।
इस अवसर पर श्री मिश्र ने कहा कि यह पुस्तक उनके समय समय पर लिखे लेखों का संग्रह है। उन्होंने संविधान को मानवीय अधिकारों का वैश्विक दस्तावेज बताते हुए कहा कि भारतीय वेद ईश्वर प्रदत्त संविधान है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र जीवंत दर्शन है। संस्कृति और राष्ट्र परस्पर जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि संस्कृति, संविधान और राष्ट्र के दर्शन को अलग-अलग लेखों में व्याख्यायित करने का उन्होंने प्रयास किया है।
पुस्तक में ‘शिक्षा की संस्कृति’ के अंतर्गत देश में 34 वर्षों के बाद बनी ऐतिहासिक नई शिक्षा नीति के आलोक में शिक्षा से जुड़ी भारतीय संस्कृति पर लेख है। इसके साथ ही तकनीक आधारित आधुनिक ज्ञान के समुचित और मानवता के कल्याण के लिए वृहद उपयोग पर जोर दिया गया है। पुस्तक में महात्मा गांधी, गौतम बुद्ध, सुभाष चन्द्र बोस, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और दर्शन पर लिखे अपने लेखों के बारे में भी जानकारी दी गई।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति कर्म प्रधान है। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत, पर्यावरण संरक्षण से कोरोना निदान, अनुसंधानों के जरिए नवाचार और औद्योगिक विकास जैसे पुस्तक में संग्रहित अपने लेखों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय संस्कृति उदात्त जीवन मूल्यों की थाती है।
इससे पहले अपने स्वागत उद्बोधन में राजस्थान के ऊर्जा, जल संसाधन और कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने राजस्थान की संस्कृति की चर्चा करते हुए श्री नायडू एवं श्री मिश्र का स्वागत किया।