published by saurabh
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नयी दिल्ली, 29 जुलाई (वार्ता): केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथी के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और जिम्बाब्वे के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन पत्र (एमओयू) को आज पूर्व स्वीकृति प्रदान की। इस एमओयू पर 30 नवंबर 2018 को हस्ताक्षर किये गये थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया। इस एमओयू को मंजूरी मिलने से पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथी को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग की रूपरेखा तैयार की जाएगी और इससे पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में दोनों देश पारस्परिक रूप से लाभान्वित होंगे। इस एमओयू का मुख्य उद्देश्य समानता और आपसी लाभ के आधार पर दोनों देशों के बीच पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करना,बढ़ावा देना और उसे विकसित करना है।
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एमओयू में परस्पर सहयोग के कई क्षेत्रों की पहचान की गयी है जैसे समझौता ज्ञापन के दायरे में शिक्षण,अभ्यास,और औषधि तथा बिना औषधि के इस्तेमाल के रोगों के उपचार को बढ़ावा देना, प्रदर्शन और संदर्भ के लिए सभी आवश्यक औषधि सामग्री और दस्तावेजों की आपूर्ति करना , चिकित्सकों,चिकित्सा सहायकों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों और छात्रों के प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञों का आदान-प्रदान करना , अनुसंधान,शैक्षिक और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए इच्छुक वैज्ञानिकों,चिकित्सकों, चिकित्सा सहायकों और छात्रों के आवास की व्यवस्था करना, औषधिकोशों और सूत्रीकरण को आपसी मान्यता देना । इसके अलावा चिकित्सा पद्धतियों को मान्यता देना जो आधिकारिक रूप से दोनों देशों में मान्य हों, दोनों देशों की सरकार तथा राज्यों से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से मिली शैक्षिक योग्यता को पारस्परिक मान्यता प्रदान करना , मान्यता प्राप्त संस्थानों में शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति का प्रावधान करना, संबंधित देशों के मौजूदा कानूनों के तहत योग्य चिकित्सकों द्वारा पारस्परिक आधार पर पारंपरिक औषधियों को मान्यता देना तथा योग्य चिकित्सकों को अभ्यास करने की अनुमति देना आदि भी सहयोग के क्षेत्र के रुप में चिह्नित किये गये हैं।
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