“कोरोना से करुणा तक”

लेख

Published by Neha Bajpai

एक दूसरे से दूरियां बढ़ा रहे हैं
हफ्तों से अपनों से दूर रह रहे हैं
कोरोना का डर तो है,
मगर हम तो अपनों की ही फिक्र कर रहे हैं|

नौकरी नहीं है , और ना ही है सुकून की कमाई
बच्चों को कम में गुजर करने की सीख दे रहे हैं
कोरोना का डर तो है ,
मगर हम तो अपनों की ही फिक्र कर रहे हैं|

तब वक्त ना था जो घर में गुजार सकें
कुछ पल तो अपनी पुरानी शौकीनियों को पुकार सकें,
छूट गई थी शायरी की आदत  और रूठ सी गई थी मेरी मोहब्बत
मगर इस खाली वक्त में कीमती तोहफो जैसे मेरे शेर उन्हें खुश कर रहे हैं
कोरोना का डर तो है ,
मगर हम तो अपनों की ही फिक्र कर रहे हैं |

हिम्मत न टूटी , छूटा ना हौसला जिंदगी का
नजदीक तो नहीं है एक दूसरे के मगर
मन में उमड़ पड़ा है सैलाब दुआओं का
तोड़ ना सकेगा हमारे आशियाने को यह कोरोना
बेहद मजबूत है जज्बा उसे हराने का
हर मुमकिन कोशिश से उसे धीरे-धीरे हरा रहे हैं
सब्र सेवा और इंसानियत को असल में जी रहे हैं

सच बताऊं, कोरोना का डर तो है,
मगर हम तो अपनों की ही फिक्र कर रहे हैं|

 

Sanaviya Fareed

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