8 अक्टूबर को फिल्म ‘द रेस्क्यू’ सिनेमाघरों में रिलीज

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हॉलीवुड वासरेली-चिन ने ‘द रेस्क्यू’ फिल्म को वास्तविकता तक पहुंचाने के लिए गोताखोरों-नेवी सील्स की मदद ली। डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता एलिजाबेथ चाई वासरेली और उनके पति जिमी चिन खुश होने के साथ-साथ भावुक भी हैं। उनकी तीन साल की मेहनत रंग लाने वाली है। 8 अक्टूबर को उनकी फिल्म ‘द रेस्क्यू’ सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। 2018 में थाईलैंड की थाम लुआंग गुफा में 12 युवा फुटबॉल खिलाड़ियों और उनके कोच को बचाने के संघर्ष पर फिल्म का कथानक बुना गया है।

फिल्म के लिए 3 साल तक घटना से जुड़े फुटेज खंगाले
​​​​​​​वासरेली के मन में डर था कि कहीं कोई कसर बाकी न रह जाए और फिल्म वास्तविकता से दूर न हो जाए। क्योंकि लोगों को अभियान के बारे में उतना ही पता था, जितना स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय चैनलों व मीडिया ने बताया था। फिल्म के लिए वासरेली और चिन ने तीन साल तक घटना से जुड़े फुटेज खंगाले। ताकि घटनाक्रम को जोड़ा जा सके।

ब्रिटेन के स्टूडियो में कृत्रिम तालाब बनवाया
फिल्म को वास्तविकता के करीब ले जाने के लिए उन्होंने ब्रिटिश गोताखोरों से अभियान के दृश्य रीक्रिएट करवाने के लिए ब्रिटेन के स्टूडियो में कृत्रिम तालाब बनवाया। फिल्म का बड़ा हिस्सा पूरा हो चुका था, पर वासरेली अभियान से जुड़े कुछ और पलों को जिंदा करना चाहती थी, जो घटना की गंभीरता बता सकें। और ये अहम पल थाई सेना के नेवी सील्स के पास थे। दो साल तक लगातार मेहनत के बाद भी सेना उन्हें ये फुटेज देने के लिए राजी नहीं हुई थी। इस साल मई में वासरेली को नेवी कमांडर अर्पाकोर्न यूकोंगकाव, उनकी पत्नी ससिविमोन और टीवी पत्रकार से फुकेट में मुलाकात का मौका मिला। जब वे न्यूयॉर्क लौटीं तो उनके पास अभियान के 87 घंटों के ओरिजिनल फुटेज भी थे। वासरेली कहती हैं कि यह सपना सच होने जैसा था, पर बुरे सपने जैसा भी क्योंकि फिल्म पूरी बन जाने के बाद यह फुटेज मिली थी। इसके लिए फिल्म को बदला गया। क्योंकि हम तीन साल की मेहनत को बेकार नहीं जाने दे सकते थे।

वासरेली थाईलैंड जाकर बच्चों से मिलीं, घटना के हर पहलू को समझा
वारसेली और चिन खिलाड़ियों के हवाले से फिल्म बनाना चाहते थे, पर थाई सरकार के कारण उन्हें इसके अधिकार नहीं मिले। वासरेली ने थाईलैंड पहुंची तो उन्होंने लड़कों के साथ बात कर अभियान को गहराई से समझा। बच्चों ने भी वासरेली से फुटेज मांगे ताकि वह जान सकें कि उनके बचाव के लिए कैसी कोशिशें की गई थीं। अभियान में बड़ी भूमिका गोताखोरों की थी, फिल्म में भी रही। उन्होंने वो सब हूबहू दिखाने की कोशिश की जो गुफा में हुआ था। गोताखोर स्टैंटन कहते हैं कि जिंदगी में आप किसी बात के लिए पहचाने जाना चाहते हैं, तो फिर 12 बच्चों की जान बचाने से बेहतर क्या हो सकता है।