“40 जीवनों के लिए एक ‘पाइप’ में छुपी आशा, भोजन से लेकर ऑक्सीजन तक की आपूर्ति”

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उत्तरकाशी में दीपावली के दिन एक बड़ा हादसा हुआ। चारधाम परियोजना के तहत निर्माणाधीन सिलक्यारा-पोल गांव की सुरंग में पिछले पांच सौ घंटे से अधिक समय से चालीस कर्मचारी कैद हैं। इन कर्मचारियों को बाहर निकालने का अभियान युद्ध स्तर पर चल रहा है। रात तीन बजे देहरादून से ऑगर ड्रिलिंग मशीन पहुंची। इस उपकरण को स्थापित करने का काम अभी जारी है। कर्मचारियों को निकालने के लिए भी हरिद्वार बादराबाद से 900 एमएम के पाइप आए हैं। टनल में फंसे कर्मचारियों तक मंगलवार को पहुंचने की संभावना है।

सिल्कयारा टनल में हुए भूस्खलन के कारणों का अध्ययन और जांच करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक कमेटी बनाई है। स्थल का निरीक्षण करने के लिए कमिटी के निदेशक और उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण और प्रबंधन केंद्र के विशेषज्ञों ने जांच शुरू कर दी है। टीम सुरंग और उसके ऊपर की पहाड़ी देख रही है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी सुरंग हादसे पर लगातार निगरानी रखी है।सीएम धामी   ने कहा कि मैं स्थिति पर नज़र रख रहा हूँ। मैं घटनास्थल पर भी गया था और अंदर फंसे लोगों के परिवारों से भी बातचीत की।भोजन, पानी और अंदर फंसे लोगों को ऑक्सीजन मिलता है। प्रधानमंत्री मोदी भी स्थिति पर नज़र रख रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरकाशी टनल दुर्घटना पर चर्चा की। सीएम धामी ने सोशल मीडिया पर बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने सिल्क्यारा के पास एक निर्माणाधीन टनल में हुई दुर्घटना में फंसे कर्मचारियों की हालत की जानकारी दूरभाष पर ली। इस दौरान उन्हें फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए किए जा रहे राहत और बचाव प्रयासों से अवगत कराया गया।

पाइप को मलबे में कुछ ही देरों में डाला जाएगा, तैयारी पूरी

सिलक्यारा टनल में फंसे कर्मचारियों को निकालने के लिए ऑगर मशीन की सहायता से बड़े व्यास के एमएस पाईप डालने की तैयारी अंतिम चरण में है। अवरुद्ध भाग में जल्दी ही पाईप लगाया जाएगा। मौके पर आवश्यक सामान के साथ विशेषज्ञों और इंजीनियरों की उपस्थिति है।

कंप्रेसर का उपयोग कर मजदूरों को भेजा गया चना-चबेना, पाइप से ऑक्सीजन की सप्लाई, सिग्नल मिला।

ऑक्सीजन पाइप द्वारा सुरंग के अंदर डाला जा रहा है इसी पाइप से वॉकी टॉकी के सिगलन भी मिलाए गए। तब से रविवार की रात से कर्मचारियों से संपर्क हो रहा है। यह पाइप भी रसद को पहुंचाता था, लेकिन सोमवार को नेताओं और अधिकारियों के दौरे के कारण बचाव में बाधा आई है।

पाइप, जो ऑक्सीजन को सुरंग के अंदर ले जाता है, वॉकी टॉकी के सिगलन को भी मिलाया गया है। तब से रविवार की रात से कर्मचारियों से संपर्क हो रहा है। यह पाइप भी रसद को पहुंचाता था, लेकिन सोमवार को नेताओं और अधिकारियों के दौरे से रेस्क्यू में बाधा आई है।

20 मिनटों तक आपदा प्रबंधन सचिव ने मामूली आपत्ति का मूल्यांकन किया।

मुख्यमंत्री के लौटने पर भूस्खलन का मलबा तीन डंपर और लोडर से निकाला गया। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा मौके पर आधे घंटे के अंतराल में मुख्यमंत्री के लौटने पर पहुंचे। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा लगभग दो घंटे तक घटनास्थल पर रहे और परिस्थितियों का जायजा लिया।

इस दौरान २० से अधिक अधिकारी उपस्थित थे। इस दौरान, मलबा को धीरे-धीरे निकालने की प्रक्रिया जारी रही। सुरंग से बाहर निकलने के बाद आपदा सचिव ने एक बैठक बुलाई और मीडिया से बातचीत की।

गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान भी घटनास्थल का निरीक्षण करने के लिए सुरंग में पहुंचे। मलबा हटाने का काम दोपहर बाद शुरू हुआ जब अधिकांश अधिकारी और नेता सिल्क्यारा से निकले। सोमवार को, रेस्क्यू अभियान में तीन हेवी डंपर ने सुरंग से 400 टन मलबा निकाला।