नीतिगत दरें यथावत, एनएचबी और नाबार्ड को 10 हजार करोड़ रुपये

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published by saurabh

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नयी दिल्ली (वार्ता): कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ महामारी के बीच रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दरों को यथावत रखने का निर्णय लेते हुए गुरुवार को कहा कि महँगाई को लक्षित दायरे में रखने और इस महामारी के प्रभाव से अर्थव्यवस्था के उबरने तक उसका रुख एकोमोडेटिव बना रहेगा। चालू वित्त वर्ष में समिति की तीन दिवसीय दूसरी बैठक के आज समाप्त होने के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि समिति ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि रेपो दर को चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत, बैंक दर को 4.25 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैस्लीलिटी (एमएसएफ) को 4.25 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार के संकेत मिल रहे थे लेकिन इस महामारी से प्रभावितों की संख्या में हो रही तेज वृद्धि के कारण कुछ राज्यों और बड़े शहरों में फिर से लॉकडाउन लगाये जाने के कारण संकेतक फिर से शिथिल हो गये हैं।

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उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में महँगाई बढ़ने की आशंका है लेकिन दूसरी छमाही में इसमें नरमी आ सकती है।आरबीआई की घोषणाओं का शेयर बाजार ने झूमकर स्वागत किया। वैसे बाजार में सुबह से ही तेजी थी और सेंसेक्स 200 अंक से अधिक की बढ़त बनाये हुये था, लेकिन श्री दास के बयान के बाद सेंसेक्स 550 अंक और निफ्टी 150 अंक चढ़ गया। उन्होंने कहा कि हाउसिंग क्षेत्र और छोटे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा माइक्रो फाइनेंस संस्थानों के तनाव को कम करने के उद्देश्य से 10 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त विशेष तरलता की सुविधा दी जायेगी। उन्होंने कहा कि इस राशि में से पांच हजार करोड़ रुपये राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) को और पांच हजार करोड़ रुपये नाबार्ड को दिये जायेंगे। श्री दास ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही और पूरे वित्त वर्ष में भी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर ऋणात्मक रहने का अनुमान है। समिति का मानना है कि चालू वर्ष की पहली छमाही में वैश्विक आर्थिक गतिविधियाँ उतार-चढ़ाव का सामना करती रहेंगी। दुनिया की कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में जुलाई में फिर से कोरोना वायरस संक्रमण में तेजी आने से सुधार के संकेत धूमिल होने लगे हैं। हालाँकि वैश्विक वित्तीय बाजार में तेजी देखी जा रही है।

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