नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि वह मुकुल रॉय की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग के मामले पर सुनवाई में तेजी लाते हुए फैसला शीघ्र करें। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने सुनवाई के दौरान विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि उन्हें अगले साल जनवरी के तीसरे सप्ताह तक अपना फैसला दे देना चाहिए। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक अंबिका रॉय की याचिका पर पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष को 7 अक्टूबर तक अपना फैसला देने को कहा था।
उच्च न्यायालय के इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी। श्री अंबिका रॉय ने मुकुल रॉय के भारतीय जनता पार्टी से पाला बदलकर ममता बनर्जी के नेतृत्व में सत्ता में लौटी तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने बाद उन्हें राज्य की लाेक लेेखा समिति(पीएसी) का चेयरमैन बनाए जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की गुहार विधानसभा अध्यक्ष से लगाई थी। इस मामले में विधान सभा अध्यक्ष द्वारा फैसले लेने में देरी को आधार बनाते हुए भाजपा विधायक ने उच्च न्यायालय का रुख किया था। मुकुल रॉय तृणमूल कांग्रेस से 2017 में भाजपा में शामिल हुए थे।
इस साल विधानसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर जीतने के बाद वह पुनः तृणमूल कांग्रेस में वापस लौट आए थे। भाजपा का आरोप है कि उनकी वापसी का इनाम देते हुए उन्हें 9 जुलाई पीएसी का चेयरमैन नियुक्त किया था। उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाले भाजपा विधायक ने पीएसी का पद विपक्षी दल के विधायक को देने का कानूनी प्रावधान बताया था और कहा था मुकुल राय अब विपक्ष में नहीं है। इसलिए मुकुल राय की चेयरमैन पद पर नियुक्ति असंवैधानिक है इसलिए फैसले को चुनौती दी गई है।