बुंदेलखंड की प्यास न बुझा सके बदरा, अन्नदाता चिंतित

उत्तर प्रदेश

हमीरपुर। उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र के हमीरपुर जिले में झमाझम बारिश के बावजूद भूजल के स्तर में उल्लेखनीय सुधार न होने से किसानों के सामने सिचाई का संकट मंडराने लगा है। इसके साथ ही जिला प्रशासन द्वारा वाटर रिचार्जिंग के नाम पर खर्च किये गये करोड़ों रुपये की पोल खुल गयी है। जिले में भूजल को लेकर हालात इस कदर भयावह है कि ज्यादातर नलकूप बंद होने की स्थिति में आ गये हैं। राजकीय नलकूप विभाग के सहायक अभियंता कौशल किशोर का कहना है कि बरसात के पानी को रोकने के कोई प्रबंध नही किये जा रहे है जिससे जलस्तर बढ़ने का कोई मौका नही दिखायी देता है। कुरारा,सुमेरपुर मौदहा में जलस्तर बहुत नीचे चला गया है। यहां के सभी सरकारी नलकूपों में पाइप भी बढ़ा दिये गये है यदि जल स्तर ऊपर नही आया तो क्षेत्र का किसान सिचाई के लिये एक एक बूंद पानी को तरस जायेगा।
विभाग के सहायक अभियंता आरएस चैधरी का कहना है कि बरसात तो हर साल से इस साल ज्यादा हुई है मगर सरीला,गोहांड,राठ मुस्करा क्षेत्र में जल स्तर बढा नही है। यहां पर भी तालाबो में पानी कम आया है क्योंकि मनरेगा से जो तालाब बनाये गये है उनमें पानी आने के लिये रास्ता नही बनाया गया है जिससे जलस्तर नही बढ़ पा रहा है। इन क्षेत्रो में आगे आने वाले समय में सिचाई की बेहद खराब स्थिति रहेगी। यदि जल स्तर नही बढ़ा तो रबी की फसल उत्पादन संकट में पड़ जायेगा इससे किसान अभी से चिंतित दिखायी पड़ रहा है।
यही नही भूमि संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने तो खेत तालाब योजना के तहत करो़ड़ो रुपये के तालाब खुदवा डाले है मगर जल स्तर बढ़ने के बजाय नीचे चला गया है क्योकि तालाब मानक के अनुरुप नही खोदे गये है। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष निरंजन सिंह राजपूत ने बताया कि खेतो तालाबों का पानी नदी नालो में बहकर निकल जाता है। कृषि विभाग में तकनीकि सहायकों की फौज है मगर कोई भी कर्मी गांवों मे किसानों को प्रेेरित करने के लिये नही जाता है।