पेगासस जासूसी मामले में केंद्र को फटकार, साइबर और फॉरेंसिक जांच

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नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पेगासस जासूसी मामले में बुधवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए पूरे मामले की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर जांच कराने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और हीमा कोहली की पीठ ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. वी. रविंद्रन, पूर्व आईएएस अधिकारी आलोक जोशी तथा संदीप ओबरॉय की अगुवाई में साइबर एवं फॉरेंसिक विशेषज्ञों की तीन सदस्यों वाली एक टेक्निकल कमेटी से जांच कराने का आदेश दिया है। यह कमेटी अगले आठ सप्ताह के अंदर अपनी अंतरिम रिपोर्ट देगी।

पीठ ने कहा है कि टेक्निकल कमेटी के सदस्य के तौर पर आईआईटी बाम्बे के प्रोफेसर डॉ अश्विनी अनिल के अलावा विशेषज्ञ डॉक्टर नवीन कुमार और डॉक्टर प्रबाहरण पी. सदस्य सदस्य होंगे। उच्चतम न्यायालय ने कहा,“नागरिकों के निजता के अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता। उनकी स्वतंत्रता को बरकरार रखने की जरूरत है।” शीर्ष अदालत इस मामले में आठ सप्ताह बाद सुनवाई करेगी| इस बीच कमेटी को अंतरिम रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।

शीर्ष अदालत ने पेगासस जासूसी मामले में विभिन्न जनहित याचिकाओं की सुनवाई पूरी करने के बाद 13 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। यह मामला इजरायल की एक निजी कंपनी के स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर से भारत के प्रमुख पत्रकारों, वकीलों , कई विपक्षी दलों के नेताओं के फोन के माध्यम से कथित तौर पर उसकी जासूसी करने से जुड़ा हुआ है। याचिका में आरोप लगाया गये गए हैं कि अवैध तरीके से लोगों की बातचीत एवं अन्य जानकारी ली गई है। जो उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है।