नयी दिल्ली। नेपाल में लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए नेपाली कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच परस्पर राजनीतिक आदान प्रदान बढ़ाने और एक दूसरे के अनुभवों को साझा करने की सहमति बनी है और नेपाली कांग्रेस ने आशा व्यक्त की है कि इस प्रकार से दोनों देशों के बहुआयामी द्विपक्षीय संबंध अधिक सुदृढ़ हो सकेंगे। नेपाली कांग्रेस के संयुक्त महासचिव एवं देश के पूर्व विदेश मंत्री डॉ. प्रकाश शरण महत के नेतृत्व में भारत की चार दिन की यात्रा पर एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार एवं शनिवार को भाजपा के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, विदेश मंत्री एस. जयशंकर एवं अन्य नेताओं से मुलाकात की तथा दोनों देशों के बीच लंबित मुद्दों पर शीघ्र ही द्विपक्षीय वार्ता आरंभ करने और कोविशील्ड वैक्सीन की आपूर्ति शुरू करने का अनुरोध किया।
डा. महत ने शनिवार रात को यूनीवार्ता से बातचीत में कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी के निमंत्रण पर नेपाली कांग्रेस के प्रतिनिधि के नाते भारत आये हैं।उनका मानना है कि यात्रा के पीछे विचार यह है कि दोनों देशों के लोकतांत्रिक राजनीतिक दलों के बीच में संवाद एवं आदान प्रदान नियमित एवं सतत रूप से होना चाहिए। इससे हमें एक दूसरे को अधिक निकटता से जानने, समझने एवं भारत एवं नेपाल के संबंधों को अधिक सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।उन्होंने कहा कि भाजपा अध्यक्ष एवं अन्य नेताओं के साथ बैठक में उन्होंने राजनीतिक कार्यप्रणाली को समझने का प्रयास किया और तकनीक के इस्तेमाल से लोकतांत्रिक शासन प्रणाली एवं जनसेवा को अधिक प्रभावी बनाने के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री से बातचीत में उन्होंने लिम्पियाधुरा, कालापानी, धारचूला क्षेत्र के सीमा को लेकर विवाद पर राजनयिक स्तर की वार्ता शुरू करने, इसी क्षेत्र में हाल में एक बालक की मौत के मुद्दे की जांच कराने सहित विभिन्न भावनात्मक मुद्दों को प्राथमिकता से हल करने का आग्रह किया है।
नेपाली प्रतिनिधिमंडल की यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब दोनों देशों के बीच रेलवे की परियोजनाओं को जल्द पूरा करने को लेकर आधिकारिक स्तर की बैठक के साथ ही साइबर सुरक्षा को लेकर एक वर्चुअल बैठक का आयोजन किया गया। जनकपुर जयनगर रेललाइन बन कर तैयार हो चुकी है जिसे औपचारिक रूप से शुरू करना है। इसके साथ ही रक्सौल से काठमांडू के बीच रेललाइन बिछाने के लिए फाइनल लोकेशन सर्वेक्षण कराने के समझौते पर भी हस्ताक्षर किये गये हैं। नेपाल की राजनीति पर नजर रखने वालों के अनुसार नेपाल की पिछली के. पी. ओली सरकार के समय नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच राजनीतिक सहयोग के करार के बाद दो कार्यशालाओं का आयोजन किया गया जिनमें से एक वर्चुअल और एक प्रत्यक्ष हुई थी। इससे नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के सहयोगी दलों में नाराजगी बढ़ी थी और नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में भी कुछ मतभेद बढ़े थे।