Published by Ujagar
(Former Union Rural Development Minister and former National Vice President of Bihar’s main opposition Rashtriya Janata Dal (RJD), Dr. Raghuvansh Prasad Singh, died today during treatment at All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) in Delhi. He was 74. Family sources said here that Dr Singh, who is suffering from a lung infection, was recently admitted to Delhi AIIMS, where he died during treatment.)
नयी दिल्ली (वार्ता)। पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री एवं बिहार की मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह का आज दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे। पारिवारिक सूत्रों ने यहां बताया कि फेफड़े के संक्रमण से जूझ रहे डॉ. सिंह को अभी हाल में दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
इससे पूर्व कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें पटना एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के बाद वह स्वस्थ हो गए थे। बाद में तबीयत खराब होने उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था । उनके परिवार में दो पुत्र और एक पुत्री हैं।
10 सितंबर को लालू प्रसाद यादव को पार्टी छोड़ने के लिए लिखा था पत्र
डॉ. सिंह ने दिल्ली में एम्स से ही 10 सितंबर को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर पार्टी से इस्तीफा देने की घोषण की थी। उन्होंने अपने पत्र में लिखा था, “जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक आपके पीठ पीछे खड़ा रहा लेकिन अब नहीं। पार्टी नेता और आम जनों ने बड़ा स्नेह दिया, मुझे क्षमा करें।”
वहीं, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने डॉ. सिंह को मनाने के लिए जेल से गुरुवार को ही भावनात्मक चिट्ठी लिख कर चार दशक पुराने संबंधों का हवाला देते हुए पूरे अधिकार के साथ कहा था, “चार दशकों में हमने हर राजनीतिक, सामाजिक और यहां तक कि पारिवारिक मामलों में मिल-बैठकर ही विचार किया है। आप जल्द स्वस्थ हों, फिर बैठ के बात करेंगे। आप कहीं नहीं जा रहे हैं, समझ लीजिए। आपका लालू प्रसाद।”
गौरतलब है कि पूर्व सांसद रामा सिंह को राजद में लाए जाने की चर्चा के बाद से ही डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह नाराज थे। श्री लालू प्रसाद यादव ने भी उन्हें मनाने की कोशिश की, इसी बीच श्री यादव के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव ने डॉ. सिंह को लेकर विवादास्पद बयान दे दिया था कि ‘समुद्र से एक लोटा पानी निकल जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता।’ ऐसा समझा जाता है कि डॉ. सिंह इससे काफी क्षुब्ध थे और अपमानित महसूस कर रहे थे। अंत में उन्होंने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया।
योगी ने जताया शोक
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
आज यहां जारी शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से सम्बन्ध रखने वाले श्री सिंह सादगी की अप्रतिम मिसाल थे। केन्द्रीय ग्राम्य विकास मंत्री के रूप में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किये।
श्री योगी आदित्यनाथ ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
शिवराज ने शोक व्यक्त किया
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
श्री चौहान ने ट्वीट के जरिए कहा कि श्री सिंह के निधन का दुखद समाचार मिला। मुख्यमंत्री ने उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।
बिहार से पांच बार रहे सांसद
समाजवादी नेता डॉ. सिंह ने बिहार के वैशाली लोकसभा क्षेत्र का कई बार प्रतिनिधित्व किया। 06 जून 1946 को वैशाली जिले के शाहपुर में जन्मे डॉ. सिंह ने बिहार विश्वविद्यालय से गणित में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्हें ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के बारे में महारथ हासिल था। युवावस्था में उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुए आंदोलनों में भाग लिया। वर्ष 1973 में उन्हें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का सचिव बनाया गया। 1977 से 1990 तक वे बिहार से राज्यसभा के सदस्य भी रहे। वर्ष 1977 से 1979 तक वे बिहार के ऊर्जा मंत्री रहे।
इसके बाद उन्हें लोकदल का अध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 1985 से 1990 के दौरान वे लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रहे। लोकसभा के सदस्य के रूप में उनका पहला कार्यकाल वर्ष 1996 से प्रारंभ हुआ। वे 1996 के लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुए। लोकसभा में दूसरी बार वे 1998 में निर्वाचित हुए तथा 1999 में तीसरी बार लोकसभा के सदस्य बने।
डॉ. सिंह इस कार्यकाल में गृह मामलों की समिति के सदस्य रहे। उन्हें वर्ष 2004 में चौथी बार लोकसभा सदस्य के रूप में चुना गया। वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के मनमोहन सिंह सरकार में 23 मई 2004 से 2009 तक वे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे। इस कार्यकाल में उन्हें लोक कल्याणकारी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की परिकल्पना और उसे लागू करने का श्रेय प्राप्त है। इसके बाद वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने पांचवी बार जीत दर्ज की। वह पांच बार लोकसभा सदस्य और तीन बार केंद्रीय मंत्री रहे।