ग्रामीण अब किस्तों में दे सकेंगे नल कनेक्शन की राशि

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जयपुर। राजस्थान में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत हर घर नल कनेक्शन लेने के लिए ग्रामीण परिवारों द्वारा आवश्यक जन सहभागिता राशि को अब किस्तों में जमा कराया जा सकेगा। जलदाय मंत्री डॉ. बी डी कल्ला ने यह जानकारी देते हुए आज बताया कि जेजेएम के तहत जिन गांवों में ग्रामीण पेयजल परियोजनाएं स्वीकृत हुई है, वहां प्रत्येक परिवार की ओर से प्रारंभिक तौर पर मात्र 500 रुपये जमा कराने पर मौके पर मंजूर योजना का कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा। यदि कोई गांव या ढ़ाणी, अनुसूचित जाति और जनजाति बहुल, मरूस्थल एवं अकाल से प्रभावित क्षेत्र में है तो वहां आरम्भ में प्रति परिवार मात्र 250 रुपये की राशि जमा होने के बाद स्वीकृत स्कीम के कार्य शुरू हो जाएंगे।
केन्द्र सरकार द्वारा जेजेएम के तहत स्वीकृत ग्रामीण पेयजल परियोजना के कार्यों को आरम्भ करने से पहले किसी भी गांव एवं ढ़ाणी के 80 प्रतिशत परिवारों की ओर से सहयोग राशि को जमा कराने का प्रावधान किया गया है। ग्रामीण परिवारों द्वारा यह सहयोग नकद, वस्तु, श्रम या दान के रूप में दिया जा सकता है। ग्रामीणों को किस्तों के रूप में यह सहयोग राशि देने की भी छूट है।
ऐसे में राजस्थान में सामान्य तौर पर आरम्भ में प्रति ग्रामीण परिवार 500 रुपये तथा अनुसूचित जाति-जनजाति के बहुल, ट्राइबल, मरुस्थल एवं अकाल से प्रभावित क्षेत्रों के गांवों में 250 रुपये प्रति परिवार सहयोग राशि जमा कराने की सुविधा लोगों को दी गई है। उन्होंने बताया कि राज्य में हर घर नल कनेक्शन के कार्यों में गति लाने और ग्रामवासियों पर वित्त दबाव को कम करने के लिए यह व्यवस्था लागू की गई है।
इसके बाद जिन गांवों में जेजेएम के तहत ग्रामीण पेयजल परियोजनाएं स्वीकृत हो चुकी है, वहां प्रारम्भिक तौर पर 80 प्रतिशत परिवारों द्वारा 500 या 250 रुपये की राशि जमा कराने के बाद मौके पर कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा। इससे सम्बंधित गांव में पेयजल परियोजना की वितरण प्रणाली के लिए सभी परिवारों को नल कनेक्शन से जोड़ने से पूर्व तक के काम पूरे कर लिए जाएंगे।
बाद में ‘हर घर नल कनेक्शन’ की कार्यवाही आरम्भ करने से पहले ग्रामीणों परिवारों को सामुदायिक सहयोग की शेष बची राशि जमा करानी होगी। डॉ. कल्ला ने बताया कि जेजेएम में सामान्यतः जनसहभागिता राशि के तहत सम्बंधित गांव की परिधि में परियोजना से सम्बंधित ‘विलेज डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम’ विकसित करने पर होने वाले व्यय का पांच या दस प्रतिशत अंशदान के तौर पर लेने का प्रावधान है।
प्रदेश में सतही जल स्रोत पर आधारित वृहद पेयजल परियोजनाओं के तहत किसी भी गांव या ढ़ाणी में लोगों को केवल अपने गांव की सीमा में ‘वितरण प्रणाली’ की लागत का पांच या दस प्रतिशत अंशदान देना होगा न कि पूर्ण परियोजना की लागत का पांच या दस प्रतिशत।
उन्होंने बताया कि पहले किसी गांव में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का बहुल होने पर पांच प्रतिशत ही जनसहभागिता राशि लेने का प्रावधान था। अब इस श्रेणी में ट्राइबल, मरुस्थल एवं अकाल से प्रभावित क्षेत्रों को भी जोड़ दिया गया है, इन श्रेणियों में आने वाले गांवों को पांच प्रतिशत जनसह- भागिता राशि देनी होगी। उन्होंने बताया कि राजस्थान में 15 जिलों के 85 ब्लॉक मरूस्थलीय क्षेत्र तथा 12 जिलों के 30 ब्लॉक अकाल से प्रभावित क्षेत्र के रूप में चिह्नित है, ऐसे में प्रदेश के करीब आधे हिस्से में गांववासियों को जेजेएम के कार्यों के लिए पांच प्रतिशत जनसहभागिता राशि ही देनी होगी। इसके अलावा अन्य श्रेणी के गांवों में परिवारों से दस प्रतिशत जनसहभागिता राशि ली जाएगी।