वॉशिंगटन। भारत ने कोविड महामारी से मानवता को बचाने के लिए कोविड के टीकों, दवाओं एवं जांच उपकरणों को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण नियमों (ट्रिप्स) से छूट दिए जाने की मांग दोहरायी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक कोविड सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। हाल ही में हमने एक दिन में ढाई करोड़ से अधिक लोगों को टीके लगाये हैं।
कार्यक्रम का आयोजन अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ आर बिडेन ने किया था। उन्होंने कहा कि हमारे जमीनी स्तर पर पर स्वास्थ्य प्रणाली के तहत अब तक 80 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लगाया जा चुका है और 20 करोड़ से अधिक लोगों को दोनों खुराक दी जा चुकी हैं। यह सब हमारे नवान्वेषी डिजीटल प्लेटफॉर्म कोविन के कारण संभव हुआ। भारत ने कोविन एवं कई अन्य तकनीकी समाधान मुक्त साॅफ्टवेयर के तौर पर सभी को निशुल्क उपलब्ध कराये हैं।
श्री मोदी ने कहा कि भारत में नये टीके विकसित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही हम अपनी मौजूदा टीका उत्पादन क्षमता बढ़ाने में भी लगे हैं। विनिर्माण बढ़ने से हम अन्य देशों को भी आपूर्ति बहाल करने में सक्षम हो जाएंगे। इसके लिए कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखलाओं को हर हाल में खुला रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने क्वाड साझीदारों के साथ हम भारत की विनिर्माण क्षमता का हिन्द प्रशांत क्षेत्र के लिए टीका उत्पादन बढ़ाने के लिए उपयोग कर रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रीका ने प्रस्ताव किया है कि कोविड टीकों, नैदानिक उपकरणों एवं दवाओं को डब्ल्यूटीओ के बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण नियमों से छूट दी जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे महामारी से बड़े पैमाने पर तेजी से निपटा जा सकेगा। हमें महामारी के आर्थिक दुष्प्रभावों को भी दूर करने का प्रयास करना होगा। इसके लिए टीकाकरण प्रमाणपत्रों को मान्यता देकर अंतरराष्ट्रीय यात्राओं को आसान बनाने की कोशिश होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत श्री बिडेन के विज़न और इस सम्मेलन के उद्देश्यों से पूरी तरह से सहमत है।