नयी दिल्ली। एशियाई विकास बैंक ने बुधवार को कहा कि घरेलू मांग और निर्यात में तेजी के बल पर वित्त वर्ष 2021 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 10 फीसदी रह सकती है लेकिन वित्त वर्ष 2022 में यह नरम पडकर 7.5 प्रतिशत रह सकता है।
एडीबी ने अपनी एशियन डेवलपमेंट आउटलुक 2021 के अपडेट रिपोर्ट में कहा है कि मार्च 2022 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में कोरोना महामारी की दूसरी लहर से सेवायें बुरी तरह प्रभावित हुयी है। इसका असर घरेलू उपभोग और शहरी क्षेत्र पर भी हुआ है।
उसने कहा कि कोरोना टीकाकरण में तेजी से महामारी के प्रभाव को काफी हद तक नियंत्रित किया है। इसके साथ ही कारोबारियों, आम लोगों और हेल्थकेयर क्षेत्र की तैयारियों से महामारी के प्रभाव को कम करने में मदद मिली है।
एडीबी के भारत में निदेशक टाकिओ कोनिशि ने कहा“ भारत अर्थव्यवस्था में सुधार के बेहतर संकेत दिख रहे क्योंकि दूसरी लहर के प्रभाव को काफी हद तक कम किया गया है।
सरकार की वैक्सीनेशन पहल, वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए अधिक संसाधनों में राहत देने की पहल के साथ ही स्वास्थ्य से जुड़े उपायों को सशक्त बनाने से तीव्र सुधार में बहुत मदद मिली है।”
एडीबी ने कहा कि वित्त वर्ष2021 की तीन अंतिम तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में जबदरस्त तेजी का अनुमान लगाया गया था क्योंकि ई वेबिल, माेेबिलिटी डेटा और पीएमआई में सुधार से काेरोना की दूसरी लहर के बावजूद चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी 20.1 प्रतिशत की गति से बढ़ा है।
निजी उपभोक और निवेश के कमजोर रहने का अनुमान है क्याेंकि दूसरी लहर से लाेगों की आय के साथ ही व्यय क्षमता और ऋण उठाव प्रभावित हो रहा है।
हालांकि सरकार की राट्रीय मौद्रीकरण योजनाा से सरकारी व्यय में इंफ्रास्ट्रक्चर व्यय में तेजी आने का अनुमान है। कृषि क्षेत्र में तेजी बन रह सकती है। वैश्विक मांग से निर्यात में तेजी आ सकती है।
एडीबी ने कहा कि तेल की वैश्विक कीमतों आ रही तेजी के साथ ही घरेलू स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में तेजी रहने से मुद्रास्फीति का दबाव बना रहा सकता है।