अर्थव्यवस्था तबाह करने वाला दुर्भाग्यपूर्ण कदम रहा नोटबंदी: तिवारी

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प्रयागराज। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को तबाह करने वाला दुर्भाग्यपूर्ण कदम “नोटबन्दी” आज ही के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उठाया गया था। तिवारी ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अर्थशास्त्र को अधिक ज्ञान नहीं होने के बावजूद अपने “अर्थशास्त्री” मानकार नोटबन्दी का उठाया गया कदम केवल देश की अर्थव्यवस्था को ही तबाह नहीं किया बल्कि आज देश 47 साल के सबसे अधिक बेरोजगारी का दंश झेल रहा है।

उन्होने कहा कि लघु एवं मध्यम उद्योग लगभग समाप्त हो गया है और बड़े उद्योग बन्दी के कगार पर पहुंच गये हैं। उन्हाेने कहा कि मुख्यरूप से मात्र दो घराने और 14 बड़े औद्योगिक घरानों में देश की 86 फीसदी धन सिमट कर रह गया है। गरीब और अधिक गरीब होता जा रहा है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि भाजपा द्वारा किया गया दावा कि विदेशों से काला धन वापस लाया जाएगा, वह भी अभी तक नहीं आया, न/न आतंकवाद रूका और न ही आर्थिक पलायन रूक सका। नोटबन्दी के पहले की ब्लैकमनी आज की ह्वाइटमनी हो गयी है। यह देश केी अर्थव्यवस्था को समापत करने वाला दुर्भाग्यपूर्ण कदम है।

उन्होने कहा कि देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीड़ीपी) 7.3 फीसदी है जो 23 फीसदी की गिरावट तक पहुंच गयी थी। तिवारी ने कहा कि आज “नोटबन्दी” की वर्षगांठ है। उन्होने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री द्वारा ‘नोटबन्दी’ की कमी को कोरोना काल की आड़ में छिपाने का हरसंभव प्रयास किया गया किन्तु सच्चाई यह है कि देश में जीडीपी की गिरावट, बेरोजगारी और देश की चौपट होती अर्थव्यवस्था की शुरूआत कोरोना काल से बहुत पहले शुरू हो चुकी थी। देश की आने वाली पीढ़ियां प्रधानमंत्री के इस दुर्भाग्यपूर्ण कदम को “ काले अध्याय” के रूप में याद करेंगी।

नोटबन्दी के दुष्प्रभाव से जनता काे उबारने के लिए 110-115 रूपए प्रति लीटर के दर से महीनो पेट्रोल बेचा गया जबकि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत आज भी 82.18 डालर प्रति बैरल है। अमेरिकी डालर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में बड़ी गिरावट आयी है, इससे पहले इतनी गिरावट पहले कभी देखने को नहीं मिली।