अजमेर। राजस्थान के अजमेर में आज पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मोत्सव को जश्ने ईदमिलादुन्नबी के रूप में अकीदत, खुशियों और धार्मिक परंपराओं के निर्वहन के साथ मनाया जा रहा है। ख्वाजा की नगरी में कोरोना नियमों की सरकारी पाबंदी के चलते बारावफात का जुलूस नहीं निकाला जा सका लेकिन सुबह दरगाह परिसर में बड़ी संख्या में मौजूद अकीदतमंदों की मौजूदगी में आहता-ए-नूर में खुद्दाम-ए-ख्वाजा की ओर से सलातों सलाम की धार्मिक रस्म की गई और सभी ने परस्पर मुबारकबाद दी।
ख्वाजा गरीब नवाज स्वयं पैगम्बर मोहम्मद साहब के वंशज रहे इसलिए दरगाह शरीफ में हाजिरी लगाने वालों का भी तांता लगा रहा। अधिकतर अकीदतमंदों ने ख्वाजा साहब की मजार पर फूल व चादर पेश कर खुशहाली की दुआ मांगी और दरगाह के कमानी गेट के निकट हुजूरा पर ‘ मुए मुबारक’ की जियारत कर पैगम्बर साहब के प्रति अपनी श्रद्धा व आस्था व्यक्त की।
सूफी इंटरनेशनल की ओर से परंपरागत तरीके से निकलने वाला जुलूस नहीं निकलने के बावजूद दरगाह क्षेत्र से महावीर सर्किल फव्वारे तक सड़कों पर बड़ी संख्या में स्थानीय मुस्लिम समाज, जायरीन तथा अकीदतमंद नजर आए। प्रशासन के साथ रजामंदी के बाद सूफी इंटरनेशनल की ओर से ऋषि घाटी संपर्क सड़क स्थित कुतुब साहब के चिल्ले पर सीमित बिरादरी के बीच टेंट लगाकर पैगम्बर साहब की शान में सलाम पेश करने की रस्म अदा की गई।
रस्म के बाद सभी ने मुल्क में अमन चैन, भाईचारे व खुशहाली के साथ महामारी से मुक्ति की दुआ की। इससे पहले सोमवार रात पैगम्बर साहब के जन्मोत्सव की कड़ी में दरगाह परिसर में शादियाने बजाए गए, आहता-ए-नूर में महफिल हुई और मोहम्मद साहब की जीवनी और शिक्षाओं का बयान किया गया। साथ ही गरीबों में तवर्रुक व खाना बांटा गया। इस मौके दरगाह शरीफ को विशेष रोशनी से रोशन किया गया है।